देवरिया के एक आश्रय गृह में नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपने हाथ में ले ली है। लगभग एक साल बाद सीबीआई लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने इस घटना के संबंध में दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए हैं।
यह आश्रय गृह मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान के द्वारा संचालित किया जा रहा था। घटना के तत्काल बाद प्रदेश सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी थी। सीबीआई के मुकदमा दर्ज करने तक यूपी पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। सीबीआई ने अब मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान की निदेशक गिरिजा त्रिपाठी और आश्रय गृह की अधीक्षक कंचन लता त्रिपाठी के खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर ली है। मामले में मुख्य अभियुक्त गिरिजा त्रिपाठी और उसका पति मोहन त्रिपाठी अभी भी जेल में है, जबकि उसकी बेटी कंचन लता समेत अन्य लोग जमानत पर रिहा हो चुके हैं। प्रदेश पुलिस की ओर से पूर्व में दर्ज दो मुकदमों को सीबीआई ने हाथ में लेकर तफ्तीश शुरू कर दी है। इन दोनों मुकदमों में मानव तस्करी, यौन उत्पीड़न, यौन हमले, गलत तरीके से बंधक बनाने, अधिकारियों को अपना काम करने से रोकने के लिए आपराधिक बल प्रयोग, बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनयिम और किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों से जुड़े आरोप हैं। मामले की विवेचना सीबीआई लखनऊ के स्पेशल क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर विवेक कुमार श्रीवास्तव को सौंपी गई है।
छापे में मुक्त कराई गई थीं 23 लड़कियां
पुलिस ने जिला प्रोबेशन अधिकारी और उनकी टीम के साथ मिलकर पांच अगस्त 2018 को देवरिया में स्टेशन रोड पर संचालित आश्रय गृह व रजला गांव में स्थित वृद्धाश्रम से 23 लड़कियों व संवासिनियों को मुक्त कराया था। तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने देवरिया कोतवाली में यह मुकदमा दर्ज कराया था। यह मामला उसी समय बिहार के मुजफ्फरपुर में सरकारी धन से चलने वाले एक आश्रय गृह में किशोरियों पर कथित यौन उत्पीड़न की घटना